कहा जाता है की ब्रह्मांड का आकर अंडाकार होता है और मान तो ये भी जाता है की १३ से १४ अरब वर्ष पूर्व एक विस्फोट में ब्रह्मांड रचना हुई थी उस समय स्थान जैसी किसी वस्तु का कोई अस्तित्व नहीं था अरब वर्ष पूर्व हुए धमाके से हर २० से २४ sce में हुए दुगने धमाके में ऊर्जा इतनी अधिक थी की लगभग आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है कुछ लाख वर्षो बाद पूरा ब्रह्मांड हाइड्रोजन हीलियम गैस जो बादलो में भर गयी इस धमाके में ४ लाख साल बाद अंतरिक्ष में तारे और आकाशगंगा का जन्म हुआ इसके बाद ग्रहो और पृथ्वी निर्माण हुआ |
आइये जानते है कुछ रोहक तथ्व ब्रह्मांड से जुड़े
आकाशीय पिंडो को समझना बहुत मुश्किल होता है |
खगोलीय विज्ञान ब्रह्मांड की खोज का अघ्ययन करने वाले वैज्ञानिको को कहा जाता है |
ब्रह्मांड जल वायु से पूरा घिरा हुआ है |
काला गोद नामक पदार्थ जो ब्रह्मांड को जोड़े रखने का कार्य करता है |
२५ करोड़ साल लगता है आकाशगंगा की पूरी परिक्रमा करने में सूर्य को |
आसमान में 100 अरब खरब से भी ज्यादा तारे है |
वैज्ञानिको के अनुमान से ब्रह्मांड का व्यास लगभग 91 अरब है |
सौर् मंडल आकाशगंगा में स्थित है |
ब्रह्माण्ड से आकाशगंगा हमेशा इतनी दूर रहती की इसका प्रकाश हम तक पहुंचने में लाखो साल लग जाते है
ब्रह्मांड की कोई भी चीज जो प्रकाश की गति से चलती वह प्रकाश बन जाती ऐसा वैज्ञानिको के अनुसार माना जाता है
द्रव और ऊर्जा के आपस में सम्लित होने को ब्रह्मण्ड कहते है |
सितारे तारे और उपग्रह सभी एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करते है
आकाशगंगा का प्रवाह उत्तर से दक्षिण की ओर होता है |
जैसे ब्रह्मण्ड है आकर बढ़ता गया वैसे ही तापमान व घनत्व घटता गया है |
विज्ञान
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